ब्लॉग लेखक उत्तम जैन विद्रोही आवाज समाचार पत्र के प्रधान संपादक है ! पेशे से डॉ ऑफ नेचोरोंपेथी है ! स्वयं की आयुर्वेद की शॉप है ! लेखन मेरा बचपन से शोख रहा है ! वर्तमान की समस्या को जन जन तक पहुचाने के उदेश्य से एक समाचार पत्र का सम्पादन2014 मे शुरू किया ब्लॉग लेखक उत्तम जैन (विद्रोही ) विद्रोही आवाज़ के प्रधान संपादक व जैन वाणी के उपसंपादक है !
शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016
मेरा विचारो का पुलिंदा
प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने तर्क है और उसके दिमाग में उन तर्कों के आधार पर विचारो का बड़ा पुलिंदा भी है जिसे वह सबसे सही और हितकर समझता है। प्रत्येक व्यक्ति इस दुनिया में जो कुछ वह करता है या सोचता है वही उसके लिए सही है बाकी सब गलत। दोस्तों हम अक्सर कहते है यह गलत है या ऐसा नहीं करना चाहिए था इन सब बातो का कोई अर्थ नहीं है।
केवल अर्थ है तो स्वयं करने और परिणाम देने का क्योंकि दूसरा वह नहीं करेगा या कर सकता है जैसा आप सोचते है। लेकिन आप वह सब कुछ कर सकते हो जैसा आप सोचते हो यह अलग बात है कि करते तो आप भी वैसा नहीं हो जैसा आप दूसरे से करवाना चाहते हो। हमारी मानसिक प्रवृति केवल दुसरो में नुक्स निकालने और गलतिया ढूंढने की हो चुकी है जो हमारा सबसे अधिक उत्पादक समय को खा जाती है। और फिर हमारा विलाप प्रारम्भ हो जाता है क्या करू समय ही नहीं मिलता, मेरा भाग्य ही साथ नहीं देता आदि आदि। समय की क्या कीमत है कभी जानने का प्रयास ही नहीं किया क्योंकि हमारी आदत केवल सामान्य चीजो की कीमत जानने की ही बन चुकी है। समय सबसे कीमती और बहुमूल्य है और यही एक चीज है जो लौटकर आ नहीं सकती। आदत बदलो और समय की कीमत को ध्यान में रखो बस फिर हर कीमती चीज भी आपको छोटी नजर आएगी। जिंदगी जीना ही सबसे बड़ी कला है वर्ना जानवर भी वह सब करते है जो आप करते है। क्या अंतर है आपमें और अन्य में इसे साबित करो वह भी दुनिया को दिखाने के लिए नहीं अपितु आत्म संतुष्टि के लिए। जिस दिन आपको यह जिंदगी छोटी लगने लग जाये तभी समझना कि आपने जिंदगी जी है।