सुन मेरी पुकार भेजा प्यार उस ईश्वर ने।
नैन कटारी दिल में उतारी उस दिलबर ने।
मिला मन मीत जुड़ी प्रीत हुई दीवानी मैं।
ऐसे मिले पिया भूल दुनिया हुई बेगानी मैं।
समझ अपना देखा सपना घर बसाने का।
हुआ बुरा हाल रहे ख्याल उस दीवाने का।
कैसे कहूँ बेचैन रहूँ हर पल उसकी याद में।
ना रहा सब्र कब हो असर मेरी फरियाद में।
जब पता चला खून जला परिवार वालों का।
दिखा दुलार बनाया शिकार अपनी चालों का।
देख मौका दिया धोखा उन्होंने बड़े प्यार से।
मैं नादान बनी अनजान मारी गई ऐतबार से।
बातों में आकर उसे ठुकराकर बहुत रोई थी।
जिंदगी हुई बर्बाद नहीं मुझे याद कब सोई थी।
सुलक्षणा ने कही बात सही नई शुरुआत कर।
जो हुआ सो हुआ अब जिंदगी आबाद कर।
डॉ सुलक्षणा अहलावत
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