गुरुवार, 25 सितंबर 2014

माँ शब्द और व्याख्या

माँ शब्द और व्याख्या मेने  इस शीर्षक के बारे काफी सोचने के बाद भी मुझे कही शीर्षक मष्तिष्क में आये क्यों की माँ शब्द एक इतना विशाल है जिसके लिए हजारो हजारो शीर्षक भी कम पड़ जाते है ! पर अपने विचार ब्लॉग पर लिखने और दोस्तों से शेयर करने के लिए कोई तो शीर्षक देना था !
माँ शब्द की व्याख्या पूरी करने लगे तो सात जन्म भी कम पड़ जाते है पर कम  शब्दों में माँ की व्याख्या आज का विषय चुना और आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हु !
माँ शब्द से कोई प्राणी अनभिज्ञ नही है ! बुद्धिजीवी मानव से लेकर सूक्ष्म कीड़े तक को माँ प्यारी होती है ! माँ शब्द में त्रिदेव समाहित है ****    ब्रह्मा , विष्णु , महेश 
ब्रह्मा जनमदाता  है,
विष्णु पालनहार है ,
महेश हमारे भविष्य निर्माता ,
इन तीनो के दर्शन जिस एक मूर्ति में होते है वो है माँ 
माँ की ममता प्यार दुलार जिसने न पाया उनको पूछो  माँ क्या है ! जो माँ के प्यार से वंचित रहे ! माँ शब्द न जाने कब चलन में आया इतिहास में  कोई वर्णन नही मिलता है ! माँ एक दया की प्रतिमूर्ति होती है !
      सुबह उठ कर माँ के  चरण छु लो उनके चरणों की धुल के सामने चन्दन की महक भी कोइ मायना नहीं 
रात को सोने के पहले उनकी सेवा करो ताकि हम उनकी दुवाओ की दोलत से सराबोर हो सके 
अपनी आय का दसवा भाग कम से कम माँ के चरणों में समर्पित करो 
देखए लक्ष्मी आप पर कितनी महरबान होती है 
जब माँ ने आप को जनम दीया पहली साँस के समय वो पास में थी 
उनकी अंतिम साँस के समय आप भी उनके पास हो 
माँ का एक आशीर्वाद सात जन्मो के पुण्य का फल देगा 
व् एक बददुआ का पाप सो जनम तक दूर नहीं हो सकता 
तो करो माँ को नमन 
है माँ तू कितनी सुन्दर !
है माँ कितनी शीतल !
है माँ तुजे बारम्बार नमन !    उत्तम जैन ( विद्रोही ) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमें लेख से संबंधित अपनी टिप्पणी करके अपनी विचारधारा से अवगत करवाएं.