मेरी पत्नी और शेष यादे
बचपन से दादा दादी पापा मम्मी ताऊ ताई के प्यार में पला ! स्वभाव से थोड़ा शर्मीला कक्षा 1 से 8 पापा अध्यापक थे उन्ही के स्कूल में पढ़ा ! मेरे पिता ही अभिभावक व् गुरु रहे ! दादी की धार्मिक प्रवृति गाव मे आये साधु संतो के नित्य दर्शन दिनचर्या में सम्मिलित था ! दादी शुरू से थोड़ी कठोर अनुशासन प्रिय थी ! जितनी कठोर उतनी प्यार भी करती थी ! शारीरिक अस्वस्थता के चलते अल्पवय 19 वर्ष की उम्र में मेरी शादी करवा दी ! में मूक दर्शक होकर मोन स्वीकृति दी ! इसके अतिरिक्त मेरे पास कोई चारा भी नही था ! सगाई के 7 माह बाद शादी भी हो गयी ! शादी के वक़्त पत्नी का तो क्या खुद का खर्चा उठाने लायक भी नही था ! पर परीवार की आर्थिक स्थिति ठीक होने से कभी कोई तकलीफ नही आयी ! वक़्त गुजरता गया बच्चे हुए खुद कमाने खाने लगा ! जीवन में काफी उतार चढ़ाव आये ! कभी आर्थिक स्थिति से भी कमजोर हुआ ! पर उस वक़्त मेरे साथ माता पिता का आशीर्वाद तो था ही पर मेरे साथ मेरी जीवन साथी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही तभी मेरा होंसला बना रहा ! काफी संघर्ष के बाद आर्थिक स्थिति से मजबूत हुआ ! बुरे वक़्त में हमसफ़र का साथ हो और वक़्त के साथ समझोता अगर जीवन साथी कर ले ! तो पति पत्नी में किसी तरह के मनमुटाव नही हो सकते व् जीवन एक आनंद की अनुभूति होती है ! यह अनुभूति मेने स्वयं प्राप्त की ! पर वक़्त पर एक ऐसा मोड़ आया ! पत्नी सूरत से पीहर वॉल्वो में जाते हुए दुर्घटना का शिकार हो गयी ! उसने प्राण त्यागते समय अंतिम समय में भी मुझे याद किया उसकी अनुभूति ठीक उसी समय प्रातःकाल 4 बजे स्वप्न में हुई पर में स्वप्न समझ कर ध्यान नही दिया ! पर जब करीब दुर्घटना से 45 मिनिट बाद जब केसरियाजी पोलिस द्वारा मुझे दुर्घटना की जानकारी प्राप्त हुई ! तो स्वयं कुछ सोचने समझने के हालात में नही था ! पर बाद में अहसास हुआ उसका इतना प्यार की प्राण त्यागते समय मुझे जरूर याद किया तभी वो तरंगे मेरे स्वप्न में पहुंची ! जीवन में जन्म व् मृत्यु निश्चित है ! पर वक़्त के पहले जीवनसाथी का चला जाना ! जिंदगी बेगानी हो जाती है ! वैसे मेरे माता पिता का आशीर्वाद आज भी प्राप्त है ! उन्ही के आशीर्वाद व् संस्कारो पर चलते रहने की कोशिश में लगा रहता हु ! और रहती है तो सिर्फ स्मृति शेष। …। उत्तम जैन ( विद्रोही )
उक्त मेरी सच्ची कहानी कहु या हकीकत है
बचपन से दादा दादी पापा मम्मी ताऊ ताई के प्यार में पला ! स्वभाव से थोड़ा शर्मीला कक्षा 1 से 8 पापा अध्यापक थे उन्ही के स्कूल में पढ़ा ! मेरे पिता ही अभिभावक व् गुरु रहे ! दादी की धार्मिक प्रवृति गाव मे आये साधु संतो के नित्य दर्शन दिनचर्या में सम्मिलित था ! दादी शुरू से थोड़ी कठोर अनुशासन प्रिय थी ! जितनी कठोर उतनी प्यार भी करती थी ! शारीरिक अस्वस्थता के चलते अल्पवय 19 वर्ष की उम्र में मेरी शादी करवा दी ! में मूक दर्शक होकर मोन स्वीकृति दी ! इसके अतिरिक्त मेरे पास कोई चारा भी नही था ! सगाई के 7 माह बाद शादी भी हो गयी ! शादी के वक़्त पत्नी का तो क्या खुद का खर्चा उठाने लायक भी नही था ! पर परीवार की आर्थिक स्थिति ठीक होने से कभी कोई तकलीफ नही आयी ! वक़्त गुजरता गया बच्चे हुए खुद कमाने खाने लगा ! जीवन में काफी उतार चढ़ाव आये ! कभी आर्थिक स्थिति से भी कमजोर हुआ ! पर उस वक़्त मेरे साथ माता पिता का आशीर्वाद तो था ही पर मेरे साथ मेरी जीवन साथी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही तभी मेरा होंसला बना रहा ! काफी संघर्ष के बाद आर्थिक स्थिति से मजबूत हुआ ! बुरे वक़्त में हमसफ़र का साथ हो और वक़्त के साथ समझोता अगर जीवन साथी कर ले ! तो पति पत्नी में किसी तरह के मनमुटाव नही हो सकते व् जीवन एक आनंद की अनुभूति होती है ! यह अनुभूति मेने स्वयं प्राप्त की ! पर वक़्त पर एक ऐसा मोड़ आया ! पत्नी सूरत से पीहर वॉल्वो में जाते हुए दुर्घटना का शिकार हो गयी ! उसने प्राण त्यागते समय अंतिम समय में भी मुझे याद किया उसकी अनुभूति ठीक उसी समय प्रातःकाल 4 बजे स्वप्न में हुई पर में स्वप्न समझ कर ध्यान नही दिया ! पर जब करीब दुर्घटना से 45 मिनिट बाद जब केसरियाजी पोलिस द्वारा मुझे दुर्घटना की जानकारी प्राप्त हुई ! तो स्वयं कुछ सोचने समझने के हालात में नही था ! पर बाद में अहसास हुआ उसका इतना प्यार की प्राण त्यागते समय मुझे जरूर याद किया तभी वो तरंगे मेरे स्वप्न में पहुंची ! जीवन में जन्म व् मृत्यु निश्चित है ! पर वक़्त के पहले जीवनसाथी का चला जाना ! जिंदगी बेगानी हो जाती है ! वैसे मेरे माता पिता का आशीर्वाद आज भी प्राप्त है ! उन्ही के आशीर्वाद व् संस्कारो पर चलते रहने की कोशिश में लगा रहता हु ! और रहती है तो सिर्फ स्मृति शेष। …। उत्तम जैन ( विद्रोही )
उक्त मेरी सच्ची कहानी कहु या हकीकत है
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