शनिवार, 16 जनवरी 2016

मेरे जन्म दिन पर आप सभी दोस्तों का मैं आभार प्रकट करता हूँ

मेरे जन्म दिन पर आप सभी दोस्तों का मैं आभार प्रकट करता हूँ ----इस दिवस को आप सबने अपने प्यार से यादगार बना दिया ..आपके स - स्नेह का तहे दिल से शुक्रियां अदा करता हूँ --यह प्यार हमेशा बनाए रखना यही अपेक्षा करता हूँ :-- आज मन में यह ख्‍याल आ रहा है कि खुशियां मनाऊं या गम....? आज जन्‍मदिन है मेरा। उम्र एक साल बढ गई.... या कम हो गई....., क्‍या कहूं, क्‍या समझूं। वैसे जन्‍मदिन को उत्‍साह के रूप में मनाया जाता है। जश्‍न किया जाता है इस दिन...... पर क्‍या दूसरा पहलू यह नहीं कि जितनी उम्र ऊपरवाले ने लिखी है उसमें एक साल कम हो गए.........! खैर...... जीवन जितना भी है, उसे उत्‍साह के साथ जीना चाहिए, और ये कोशिश मैं हमेशा करता हूं। उम्र कम हुई या बढी इस चिंता को छोड ये तो सोचा ही जा सकता है आज के दिन कि अब तक क्‍या खोया और क्‍या पाया....? काफी कुछ पाया है तो काफी कुछ खोया भी है मैंने अपने अब तक के सफर में। जन्‍मदिन पर आज एक बार फिर आंखे नम हो गई हैं, उसे याद कर जिसने मुझे इस दुनिया में लाया। मेरी मां व मेरे पिता । मैं दुनिया में उनसे सबसे ज्‍यादा प्‍यार करता हूं और सुबह उठने के साथ ही माँ व पिता का आशीर्वाद लिया ! ............ माँ पिता का आशीर्वाद मेरे चार धाम कि यात्रा का सहज अनुभव हुआ ! मेरी स्वर्गस्थ पत्नी कुसुम को मेने हमेशा साथ महसूस किया है !उसका प्यार हर जन्मदिन पर ही नही हर पल महसूस करता हु ! मेरे बच्चे व मेरी पत्नी ममता का प्यार भी मुझे हर पल एक नयी खुशी प्रदान करती है ! किसी महापुरूष ने कहा है, हम जब पैदा होते हैं तो हम रोते रहते हैं पर सारी दुनिया हंसती है, हमें अपने जीवनकाल में ऐसे काम करने चाहिए कि जब हम मरें तो हम हंसते रहें पर सारी दुनिया रोए........। आप सबकी दुआएं चाहिए कि मैं अपने जीवन में ऐसे कर्म कर सकूं........। रात्रि को ही गुरुदेव ने कॉल व ऑडियो के माध्यम से आशीर्वाद प्रदान किया ! मेरे लिए इससे बड़ा क्या आशीर्वाद हो सकता है ओर आज फेसबूक पर व्हट्स अप पर व कॉल द्वारा मुझे बहुत से मित्रो , भाईयो , बहनो , सखीयो , मेरे अनुज व अग्रज आदरणीय ने शुभकामना प्रेषित की उन्हे मे जबाव नही दे पाया इस संदेश के माध्यम से सभी का आभार ज्ञापित करता हु !
जन्‍मदिन के अवसर पर अपनी एक पुरानी कविता प्रस्‍तुत कर रहा हूं....
मेरे जीवन का
एक वर्ष और
बीत गया....,
धूमिल छवि
जिसकी
है मेरे पास.....।
थोडी खुशियां, थोडे गम
कहीं जीत, कहीं हार
यही तो है,
जिनके साए में
कट जाती है
जिंदगी.......।
एक स्‍वच्‍छंद आकाश
और है मेरे पास,
जिसमें लिखना है
मुझे अपना कल,
अपना आने वाला कल
उस कल को
खुशगवार बनाएगी
तुम्‍हारी,
सिर्फ तुम्‍हारी
दुआएं ......................आपका अपना
उत्तम जैन (विद्रोही )
प्रधान संपादक
विद्रोही आवाज


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमें लेख से संबंधित अपनी टिप्पणी करके अपनी विचारधारा से अवगत करवाएं.