सोमवार, 25 जनवरी 2016

गणतन्त्र दिवस पर शुभकामना ... खरी बात


26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के अवसर पर विद्रोही आवाज व मेरी तरफ  से सभी पाठको व मित्रो को हार्दिक शुभकामनाये. गणतन्त्र दिवस यह दिन इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि 26 जनवरी सन 1929 वाले दिन ही रावी नदी के तट पर लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था और सन 1930 में लोगो ने देश को आज़ाद करवाने का संकल्प लिया था और अपने प्राणों की आहुति देने का प्रण किया था.लोगो ने अपना प्रण पूरा किया. 15 अगस्त सन 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी सन 1950 को हमारे देश में अपना संविधान लागू हुआ. भारत को इस संविधान के अनुसार गणराज्य घोषित किया गया और यह दिन प्रति वर्ष गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.! हमें अपने सारे राष्ट्रीय पर्व बड़े उत्साह से मनाने चाहिए और अपने देश की रक्षा की प्रतिज्ञा करनी चाहिए. हमें अपने देश के संविधान के प्रति हमेशा वफादार रहना चाहिए. यह दिन भारत के लिए बहुत ही पवित्र दिन है. इससे हमें देश-भक्ति की प्रेरणा मिलती है ! आप सभी को गणतन्त्र दिवस पर बहुत बहुत शुभकामना !
गणतन्त्र दिवस पर कुछ खरी बात आपसे .....
पिछले वर्षो  में भारत बहुत बदला है ! भारत को गणतंत्र हुए 67  साल हो गये हैं। इन 67 सालों में हमने जो सोचा, जिस सोच से आगे बढ़े थे वो सोच पीछे रह गई है। गणतंत्र का अर्थ होता है हमारा संविधान - हमारी सरकार- हमारे कर्त्तव्य - हमारा अधिकार। हमारा संविधान हमें बोलने का व अपने विचार रखने का अधिकार देता है।  क्या सरकार तभी कुछ कदम उठाती है जब उस पर अथवा किसी वर्ग पर उंगली उठे। और वो भी तब जब चुनाव हों।  यह कैसा गणतंत्र? हमारे छोटे से छोटे कार्य में भी भ्रष्टाचार का तंत्र इस कदर हावी है कि हमें "गलत" व "सही" का एहसास ही नहीं हो पाता चाहें यह "सिस्टम" के कारण हो अथवा हमारे निजी स्वार्थ के कारण। यह भ्रष्टाचार रग रग में बस चुका है।व्यवस्था की अनदेखी भी नहीं की जा सकती है। व्यवस्था में लगातार सुधार की गुंजाईश  है।  एक आंदोलन की आवश्यकता है। आज अजब सा विरोधाभास है। गणतंत्र दिवस उस संविधान के लिये है जिसके तहत जनता और सरकार दोनों में विश्वास पैदा होता है पर पिछले कुछ वर्षो  में इतना सब हुआ कि जनता का सरकार व राजनैतिक दलों के ऊपर से विश्वास उठ गया है। यह चिन्ता का विषय है। पर इसमें अच्छाई यह भी कि शायद नेता व दल इन कुछ समझेंगे। और क्या हम भी समझेंगे?जागरुकता की आवश्यकता है। मजहब व जाति से ऊपर उठकर देशधर्म अपनाने की आवश्यकता है। प्रेम की आवश्यकता है। यह देश असल में गणतंत्र तभी हो पायेगा जब हर नागरिक अपना कर्त्तव्य निभायेगा और दूसरे के अधिकारों की पूर्ति होगा। और तभी हम सर उठाकर स्वयं को गणतंत्र घोषित कर सकेंगे।
जय हिन्द
वन्देमातरम
उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक
विद्रोही आवाज
vidrohiawaz@gmail.com

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