मंगलवार, 23 सितंबर 2014

आप इतिहास रच सकते हैं मोदी जी, बशर्ते...!!
लोकसभा चुनावों के नतीजों और नरेंद्र मोदी जी के प्रधान मंत्री बनने के बाद से देश में अल्प संख्यकों और विशेष कर मुसलमानो के बीच किस प्रकार की सोच विकसित हुई, और मोदी जी से इस समुदाय को क्या आशाएं हैं, इस मुद्दे पर मैंने लगभग दो महीने विभिन्न शहरों में अपने काम से आने जाने के दौरान मुस्लिम समुदाय तथा अन्य लोगों से बात चीत कर. तथा सोशल मीडिया पर मुस्लिम बुद्धि जीवियों के विचारों  से जो अंदाज़ा लगाया तथा बातचीत के दौरान इन सभी लोगों ने कई विचारोत्तेजक बिन्दुओं पर ध्यान दिलाया, वो यह कि नरेंद्र मोदी जी की इस बड़ी जीत से घबराने या आशंकित होने की बिलकुल ही ज़रुरत नहीं है, यह एक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया है, पिछली सरकार की नीतियों तथा कारनामों के कारण ही वो इसके हक़दार थेकोई भी राजनैतिक दल सत्ता पाने का अधिकारी होता है !

लोगों का यह भी कहना था कि प्रधान मंत्री पद की शालीनता, कर्तव्य, और गरिमा होती ही ऐसी है कि उस पद पर आसीन होने के बाद व्यक्ति में परिवर्तन स्वाभाविक होता है, और यही कारण है कि नरेंद्र मोदी जी की चुनावी आक्रामक शैली अब कहीं नज़र नहीं आ रही है, इस पद पर आसीन होने के बाद उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करने को बाध्य तो होना ही है, इस विशाल देश और उसकी की जनता का वर्तमान और भविष्य संवारने का ज़िम्मा और मौक़ा उन्हें मिला है, ऐसे मौके को खोना नहीं चाहिए और अपने आपको साबित करना चाहिए, लम्बी पारी खेलनी है तो सभी को साथ लेकर चलना चाहिए, आपने वर्तमान जीत लिया तो भविष्य भी आपका है !


दूसरी अहम बात काफी लोगों ने कही कि इस चुनाव और भाजपा की प्रचंड जीत ने नरेंद्र मोदी जी को एक नायाब सुनहरा मौक़ा दिया है कि वो अगर ठान लें तो अपने आप को अटल बिहारी से आगे ले जाकर दिखा सकते हैं, और इतिहास में एक शाक्तिशाली प्रधान मंत्री के रूप में स्थापित हो सकते हैं, बशर्ते कि वो वर्तमान का सही और सार्थक उपयोग कर सकें, जो कि अब गुज़रते समय के साथ कुछ कठिन नज़र आने लगा है ! कारण साफ़ नज़र आ रहे हैं कि जहाँ एक ओर इनकी ही पार्टी के योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज जैसे लोग लोग लव जिहाद और मदरसों पर आतंकी पैदा करने, गरबा में मुसलमानो को प्रवेश न देने जैसे मुद्दे लेकर धार्मिक उन्माद भड़काने के लिए सड़कों पर उत्तर आएं हैं, लगातार मुसलमानो पर हो रहे बयानी हमलों से इस वर्ग मैं बेचैनी पनपने लगी है, यह बहुत दुखद है..और इससे ज़्यादा दुखद है.... इन सभी मामलों पर मोदी जी की चुप्पी, मगर लोगों को विश्वास है कि मोदी जी जल्दी ही इसे चतुराई से सुलझा लेंगे, क्योंकि इन मामलों में देरी से देश में आक्रोश पनप सकता है !

ऐसे कुछ मुठ्ठी भर लोग मोदी जी को इतिहास रचने से रोकने में अहम भूमिका ही निभा रहे हैं, ऐसे में यदि मोदी जी ने इन ताक़तों के सामने हथियार डाल दिए तो 2019 को वो अपना रिपोर्ट कार्ड किस प्रकार पेश करेंगे ? हो सकता है कि जनता उस समय उनके रिपोर्ट कार्ड को सिरे से ख़ारिज कर दे, और शायद उन्हें उन चुनावों में जनता की कड़वी दवाई पीनी पड़ जाए, जैसा कि हालिया उप चुनावों में जनता ने भाजपा को झटका दिया है, इसी लिए इस चुनावों में मिले विशाल बहुमत का सम्मान करते हुए यदि मोदी जी अपने इन बयान बहादुरों के मुंह और प्रयासों पर लगाम लगा कर. संघ के प्रभाव से मुक्त होकर राष्ट्र हित में निजी निर्णय लेकर सभी करोड़ों देश वासियों के हित के लिए आगे बढ़ें तो उनको सभी का समर्थन और साथ मिलता रहेगा, देश के सभी वर्ग, धर्म के लोग भारत को बुलंदियों पर देखना चाहते हैं, एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं, वे सभी अपना सुरक्षित भविष्य और सुनहरा वर्तमान चाहते हैं, जैसा कि मोदी जी ने नारा दिया है "सबका साथ, सबका विकास" कौन नहीं चाहता कि उनका हाथ राष्ट्र के विकास के लिए आगे आये, और कौन नहीं चाहता कि उनका विकास हो ..देश का विकास हो ? मोदी जी को इस नारे को सार्थक भी करके दिखाना होगा !
प्रचंड बहुमत के बाद चुने गए नरेंद्र मोदी जी से देश की जनता को बहुत आशाएं है, अपनी करनी का फल भुगत रहे पस्त विपक्ष को कुछ ऐसा करके दिखाना है कि आगामी वर्षों में जनता चैन की सांस ले सके, और देश की जनता को लगे कि जो विकल्प इस चुनावों में उहोने चुना है वो वास्तव में बिलकुल सार्थक है ! हाल ही में देश में हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद उनकी शैली और बयानों में आये बदलावों और कल हिंदुस्तानी मुसलमानो के लिए दिए गए उनके बयानों से सौहार्द और आशा की एक हल्की सी लौ तो झिलमिलाई है, अब उस लौ को आशा का दीपक बनाये रखने की पूरी ज़िम्मेदारी मोदी जी की है, देखना है कि इस पर वो कितने खरे उतरते हैं, मुझे उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी जी ने अगर ठान लिया तो भविष्य में उनका क़द अटल बिहारी वाजपेयी से कहीं बड़ा नज़र आ सकता है !!

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