गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

माँ की ममता ...प्रकृति का एक उपहार

माँ की ममता ....... प्रकृती का उपहार
माँ शब्द की रचना कब , किसने , किन संजोग मे , किन भावो के साथ की इसका उलेख बहुत खोजने के बाद भी नही मिला ! ओर मिलने की आशा क्यू की यह एक छोटा शब्द पर विशाल शब्द है ! इसकी विशालता मापी जाये तो तीनों लोक भी कम पड़ जाये ! यह शब्द ही अपने आप मे ह्रदय को प्रफुलित कर देनेवाला , आत्मशांति का अनुभव कराने वाला, चेतना केंद्र को जागृत करने वाला है ! माँ शब्द के जाप से सभी मंत्रो के जाप परिपूर्ण हो जाते है ! माँ नाम के मंत्र सभी मंत्रो से ज्यादा उपकारी है ! माँ शब्द की व्याख्या अगर करने लगे हजारो पेज कम जाते है ! माँ की ममता एक प्रकृती का उपहार है ! माँ की ममता अमृत से ज्यादा गुणकारी है ! हर रोग की अमृत तुल्य दवा है माँ की ममता इसमे कोई संदेह नही ! मेने माँ शब्द को एक पुस्तक मे सँजोने की कंही बार कोसिश की मगर न जाने क्यू पुस्तक पूरी नही कर पाता लिखते हुए एक अध्याय पूरा होता नही ओर आंखो से माँ की ममता के गुणो की व्याख्या करते हुए ममता रूपी
अश्रु ( आँसू ) बह जाते है ! कंही बार माँ को सामने देख जब माँ का मंमतामयी चेहरे पर कुछ रिसर्च करने की कोसिस करता हु तो कहा से शुरू करू ओर कहा अंत समझ मे नही आता ! कलम की स्याही भी गर्व से फूलने लगती है अगर सीधे शब्दो मे कहु तो कलम भी बोलने लगती है इस विशाल ह्रदय माँ रूपी देवी का तू क्या वर्णन करेगा जिसका भगवान राम , कृष्ण नही कर पाये ! मित्रो माँ के बारे मे सक्षिप्त मे लिखने ओर आप को बताने के लिए चंद लाइन लिखी है ! माँ की सेवा से तीनों लोक सुधर सकते है माँ का कर्ज़ तो सात जन्मो मे पूरा नही किया जा सकता पर सूद चुकाना मत भूलना क्यूकी इस जन्म मे अगर सूद (ब्याज ) अगर बाकी रह गया तो अगले जन्म मे कभी पूर्ण नही कर पाओगे !! .......माँ तुझे सलाम !

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