कैसे रखता हूँ मैं खुद को Positive ?
दोस्तों आज मैं आपके साथ एक बड़ी ही रुचि पूर्ण और महत्वपूर्ण बात शेयर कर रहा हूँ मुझे विश्वास है सबके लिए भी उतना ही लाभदायक होगा. ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि क्योंकि इसे समझना बहुत ही आसान है. और इसे अपनाना भी आसान है.
हमारा दिमाग विचारों का निर्माण करने वाली एक फैक्ट्री है . इसमें हर वक़्त कोई ना कोई सोच बनती रहती है. और इस काम को कराने के लिए हमारे पास दो बड़े ही आज्ञाकारी सेवक हैं और साथ ही ये अपने काम में माहिर भी हैं . आप कभी भी इनकी परीक्षा ले लीजिये ये उसमे सफल ही होंगे . आइये इनका परिचय कराता हूँ-
पहले सेवक का नाम है- मिस्टर विजय
दुसरे सेवक का नाम है- मिस्टर पराजय
मिस्टर विजय का काम है आपके आदेशानुसार सकारात्मक सोच का निर्माण करना. और Mr. पराजय का काम है आपके आदेशानुसार नकारात्मक सोच का निर्माण करना. और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.
Mr. विजय इस बात को बताने में इंगित करते हैं कि आप चीजों को क्यों कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते हैं?
Mr. पराजय इस बात को बताने में इंगित करते हैं कि आप चीजों को क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप क्यों असफल हो सकते हैं?
जब आप सोचते हैं कि मेरी ज़िंदगी क्यों अच्छी है तो तुरंत Mr. विजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में सकरात्मक सोच का निर्माण करने लगते है, जो आपके अब तक के जीवन के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे कि-
• मेरे पास इतना अच्छा परिवार है.
• मुझे चाहने वाले कितने सारे अच्छे लोग हैं .
• मैं इतना व्यवस्थित हूँ,व आर्थिक रूप इतना सक्षम हूँ कि खुश रह सकूँ .
• मैं जो करना चाहता हूँ वो कर पा रहा हूँ. आदि
.
इसके विपरीत जब आप सोचते हैं कि मेरी ज़िंदगी क्यों अच्छी नहीं है ,तो तुरंत Mr. पराजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में नकारात्मक सोच का निर्माण करने लगते है. जैसे कि-
• मैं अपने जीवन में अभी तक कुछ खास नहीं कर पाया
• मेरी नौकरी मेरी काबलियत के मुताबिक़ नहीं है
• मेरे साथ हमेशा बुरा ही होता है.
आदि .
ये दोनों सेवक जी जान से आपकी बात का समर्थन करते हैं . अब ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसमें से किसकी सेवाए लेना चाहते हैं . इतना याद रखिये कि इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आपको किसका कब्जा चाहिए और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide करना है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?
यदि जीवन मे कुछ करना है तो जितना अधिक हो सके अच्छी सोच का कार्य करने का काम Mr. विजय को ही दीजिये . यानि नकारात्मक को भगा दीजिये . नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे.
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उदाहरण - जब मुझे लगता है कि मेरे आपसी संबंधो में तनाव आ रहा है तो मैं खुद से कहता हूँ कि भगवान ने मुझे कितना प्यार करने वाले लोग दिए हैं. और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो से आपसी संबंधो से जुड़े मेरे सुखद अनुभव को मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा दिमाग बिलकुल सही हो जाता है. और जब दिमाग सही हो जाता है तो वो मेरे प्रतिक्रया में भी बदलाव आने लगता है.फिर तो सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती है और फिर सब अच्छा लगने लगता है.
सोच को सकारात्मक रखने का ये एक बहुत ही प्रायोगिक तरीका है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर नकारात्मक हावी हो रही है तो तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr. विजय से कीजिये कि ,” Mr. विजय बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, उदाहरण जेसे , आपने कभी कोई प्राइज़ जीता हो, किसी की मदद की हो, कोई ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,.
बस इस बात का ध्यान रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं.
आप भी कोसिश कर के देखिये. अपने सोच पर नज़र रखिये , और जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ सकारात्मक कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये..... उत्तम जैन (विद्रोही )
ब्लॉग लेखक उत्तम जैन विद्रोही आवाज समाचार पत्र के प्रधान संपादक है ! पेशे से डॉ ऑफ नेचोरोंपेथी है ! स्वयं की आयुर्वेद की शॉप है ! लेखन मेरा बचपन से शोख रहा है ! वर्तमान की समस्या को जन जन तक पहुचाने के उदेश्य से एक समाचार पत्र का सम्पादन2014 मे शुरू किया ब्लॉग लेखक उत्तम जैन (विद्रोही ) विद्रोही आवाज़ के प्रधान संपादक व जैन वाणी के उपसंपादक है !
मंगलवार, 31 मार्च 2015
कैसे रखता हु खुद को सकारात्मक
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