रविवार, 25 सितंबर 2016

आतंकी शासक का देश - पाकिस्तान


आज जगह जगह हमारी मातृ भूमि की रक्षा के लिए शहीद वीर जवानो को श्रदाजली दे रहे है ! हर भारतीय को उन शहीदो पर गर्व भी है ओर हम सब आहत भी हैं , क्रोधित भी हैं , लगता है युद्ध हो ही और युद्ध के अतिरिक्त कोई और रास्ता ही नहीं है ! ईट का जवाब पत्थर से दें, नामोनिशान मिटा दें. लेकिन क्षण में मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा कि सभी पाकिस्तानी तो खूंखार नहीं हैं. वहां हमारे जैसे अमन पसंद लोग भी तो रहते हैं. सारे मूसलमान आतंकवादी नहीं होता. अपने देश के मुसलमानों जैसे अमन पसंद मुसलमान तथा हिन्दू भी तो पाकिस्तान में रहते हैं. युद्ध से वे भी तो हताहत होंगे. आखिर वे तो अपने हैं जो अमन पसंद हैं तो अपनों का हत्या कैसे करें? वे भी तो दर्द में होंगे!समय की मांग या ब्रिटिश हुकूमत की चालाकी जो भी हो बंटवारा हो गया . लेकिन यदि नहीं हुआ होता तो संभवतः पाकिस्तान की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. हम साथ-साथ होते तो हम अपने साथ उनकी भी उन्नति करते और एक थाली में खाते, एक खेत में पसीना बहाते और हम एक साथ होते तो पाकिस्तान को कोई गुमराह भी नहीं कर पाता. भाई फूटे , गंवार लूटे . हम से पाकिस्तान अलग हुआ और पाकिस्तान को चीन लूट रहा है! हमारा दुश्मन उनका दोस्त बन गया. हम साथ होते तो अमेरिका जैसी महाशक्ति भी हमारे आगे नतमस्तक होता.! पाकिस्तान सदा से भारत से शत्रुता करता रहा है ! हमारे निर्दोष जनता को अकारण मारता रहता है. आतंकियों का सरगना है पाकिस्तान अभी हाल में ही उड़ी में घिनौनी हरकत से हमारे जवान शहीद हो गए हैं. बिना कारण निर्दोष की हत्या कर दी इन पाकिस्तान के आतंकवादियों ने बंटवारे के समय पाकिस्तान वाले क्षेत्र से इधर आये लोगों से जब बातें होती है तो उनके चेहरे में अपने से बिछड़ने का दर्द मन को मर्माहत कर देता है. उनके अपनों के लिए व्याकुलता ,छटपटाहट , बेचैनी को व्यक्त करना असंभव है . कुछ महीने पूर्व की बात है , मैं मुंबई गया हुआ था बांद्रा से ठाणे के लिए टेक्सी पकड़ी टेक्सी ड्राइवर मुसलमान था बातो ही बातों ही ऐसे ही औपचारिकतावश पूछ बैठा कि आप यही के हैं , उसने कहा -जी हूँ तो यहीं का . लेकिन मेरे पिताजी लाहौर से आये हुए हैं , साहब ‘हम लोगों के अपने’ वहीँ हैं ,मेरे पिताजी आज भी अपने भाई से बिछड़ने का गम भूल नहीं पाए हैं ,हंसना तो दूर ठीक से मुस्कुराये भी नहीं है ,80 साल के हो गए हैं लेकिन ऐसा एक पल भी नहीं व्यतीत हुआ होगा जब वे अपने परिवार के लिए तड़पे न हों ,जिन्दा लाश के तरह हो गए हैं ,कल्पना भी करना कठिन है कि किस दर्द से समय काटा है ! उन लोगों ने ,किस्से , कहानियों में जो दिखाया गया है सत्य है ,लेकिन उन लोगों ने जो दर्द भुगता है उसको व्यक्त करना असंभव है . उसने कहा कि नेहरूजी ने 25 बीघे जमीन भी दिए ,सबको आश्रय भी दिए . मेरे कुछ संबंधी आज उन जमीन से धनवान हैं लेकिन मेरे पिताजी, भाई की याद में कुछ कार्य नहीं कर पाए और इस कारण जमीन भी सस्ते में बेच दी ! परिणामस्वरूप आज मैं टेक्सी चला रहा हूँ .लेकिन मेरे बच्चे अध्ययन कर रहे हैं उन सबको आर्मी ऑफिसर बनाऊंगा जो, अब जो मेरा देश है उसकी रक्षा करेगा, अमन से देश को रखेगा जिससे कभी भी भाई – भाई को अलग नहीं होना पड़े . पुनः उसने कहा एक बार मिलने की चाहत है . उसके अश्रुपूरित नयन को देखकर मैं व्यथित हो गया !तब तक मे भायखला पहुँच चुका था ! मुझे रानी बाग नजर आया टेक्सी जहा मुंबई मे कक्षा 6 मे पढ़ता था ओर पहली बार मुंबई मेरे बड़े पापा लेकर गए ओर मुझे घूमने के लिए उसी राणी बाग मे ले गए ! टेक्सी वाले को थोड़ी देर रुकने का बोला सोचा 33 वर्ष मे कितना परिवर्तन हुआ आज थोड़ी देर घूमकर देख लू ! थोड़ी देर रानीबाग मे घूमा चिड़ियाघर मे पक्षियों के मधुर कलरव को देखकर मैं सोचने पर विवश हो गया कि – ऐसे बेबस मानव से तो अच्छे ये पक्षी हैं ,कितने उन्मुक्त हैं ,इनके लिए न बॉर्डर है न वीजा कि आवश्यकता . आज़ाद होकर घुमते है और संध्या काल अपने नीड में अपने परिवार के संमीप लौट आते हैं . इन्हें न बिछड़ने का का दुःख है न अपनों के लिए घुटन . काश मानव भी आज़ाद पक्षी कि तरह होता जहाँ कोई बंदिश नहीं हो , सब मिलकर जीवन बिताये , किसी से कोई जुदा न होता. न बॉर्डर होता न पासपोर्ट और वीजा की जरूरत होती. कानून इस पृथ्वी का होता न की टूकड़ों में बँटे सीमाबद्ध देशों का ! मानव तो मानव है फिर कानून और देश अलग -अलग क्यों? ........ उड़ी की अमानवीय बर्बरतापूर्ण घटना देखकर मेरी भी इच्छा हुई कि युद्ध हो,सबक सिखायें पाकिस्तानियों को , लेकिन पुनः चेतना जग गयी कि किससे लड़ाई ? सभी तो अपने हैं ,सरहद पर भी तो हैं अपने ही .कुछ दरिंदो के कारण हम अपनों के ही रक्त पिपासु बन जाएँ ,आखिर जो दर्द पाकिस्तान से आये मानव को है वही दर्द तो ,वही तड़प तो यहाँ से गए हमारे बन्धु बांधव को होगा देश से से विलग होने का गम तो उन लोगों को भी होगा .भाइयों में बंटवारा तो वर्षो से होता रहा है ,जमीन जायदाद का बंटवारा होता है ,ह्रदय का तो नहीं ,दिल का तार तो जुडा ही रहता है .बापू की तो यही सोच रही होगी .उनकी जान भी ले ली हत्यारे ने, लाखों निर्दोष मारे गए ,फिर भी असामाजिक तत्वों को संतोष नहीं हुआ .आज भी दहशत फैलाये हुए हैं, हमारे निरपराध लोग मारे जा रहे हैं .कुछ पाकिस्तानी आतंक फैला रहा है , हम करें तो करें क्या ?....... अब भी अगर पाकिस्तान माफ़ी मांगे , आतंकबाद से अपने को अलग करे , आतंकियों को पनाह न दे और पाकिस्तानी लोगों को संदेश दे की भारत उनका भाई है उन पर कुद्रष्टि न रखे , कश्मीर भारत का है और इसका जिस भाग को वे रखे हुए हैं उन्हें लौटा दे तथा बलूच लोगों पर अत्याचार न करे तो पाकिस्तान भारत का मित्र बन सकता है.! भारतवासियों को अपना कुटुंब समझे , शत्रुता समाप्त कर दोस्ती करे , दोनों देश मिल कर रहे तो सारी दुनिया पर भारत-पाक का वर्चस्व होगा. हर पाकिस्तानी और हर भारतीय विकास की उच्चतम शिखर पर होगा. चीन यह नहीं चाहती और यही वजह है की चीन पाक को उकसाता रहता है अपना हथियार उसे बेचता है और दोनों देश को परेशान करता रहता है ! क्या आप को लगता है कि पाकिस्तान की अमन पसंद जनता सुखी है या उन्हें भरत पर थोपे गए आतंक वाद से ख़ुशी मिलती है? नहीं , उन्हें भी दुःख होता है लेकिन कुछ पाकिस्तानी मानव जो दानव बन चुके हैं और उनके हाथ में सत्ता की डोर है वे ही इस तरह के कुकृत्य में संलग्न हो कर सत्ता का सुख कायम रहे इस उद्देश्य से आतंक का सहारा लिए हुए हैं. विद्वेष की भावना ये सत्ताधारी धर्म का आड़ ले कर तथा राष्ट्रबाद के दिखावे के नाम पर वहाँ के मासूम जनताओं को भड़काने के लिए तथा अपने को सत्ता में रख पाने केलिए हथियार के रूप में प्रयोग कर उन्हें फिदायनी बनाते हैं. कोई भी धर्म आतंक का समर्थक नहीं है न हो सकता है. पर दुर्योधन और रावण तो हर युग में हुआ है ! पाकिस्तान में राक्षस का सत्ता है और भोले भाले लोगों को अपने सेना में शामिल किये हुए है. उनको मानव के अहित में प्रयोग किया जाता है. इतिहास देखें जिन्ना से लेकर भुट्टो तक और मुशर्रफ से लेकर नवाजशरीफ तक सभी एक ही मुद्दे को लेकर सत्ता धारी बने रहते है और उनका सबका एक ही नारा रहा -कश्मीर,भारत और भारत विरोधी देशों से मिलीभगत. यह स्पष्ट है कि यहाँ की जनता मासूम हैं पर यहाँ के शासक आतंकी है ! और उन्हें शासन में काबिज रहने हेतु आतंक का सहारा लेना पड़ता है.! अरे अब भी सम्भल जाओ उन दुराचारियों का संगत छोडो तथा अपने हितैषियों को पहचानो . इसमें देर हुई तो भारत कब तक सहन करेगा ? आज हमारे एक दिन उसे फैसला करना पड़ेगा ! और वो दिन ऐसा भी हो सकता है कि मात्र बंगलादेश जैसे टुकड़े न करके तुम्हारा नामों -निशान विश्व के मानचित्र से गायब कर दे.
जय हिन्द

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