शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

मानवता

मित्रो
आज हम मानवता से दूर भाग रहे । सभी के विचार सूखे व् बंजर हो चले है । एक इंसान  दूसरे इंसान का खून का प्यासा हो रहा है । हर इंसान दूसरे इंसान को नीचा दिखाने की कोशिश में लगा है । सिर्फ अपने नाम  को आगे  बढ़ाने के लिये अपने ईमान को बेच देता है । सच स्वीकार करने की हिम्मत खो चूका इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए विद्रोही की नज़र में नगण्य है । बड़ा तो वह होता है जो सच का साथ दे सच  के साथ अपना समर्थन दे । सच का आदर करे व् सच बात आप तक  पहुचाने वाले की हिम्मत को दाद दे । वहीँ वीर पुरुष होता है । जरुरी नही की हर व्यक्ति को आपकी हर बात  अच्छी लगे और आपका ही समर्थन करे । हर इंसान को मानवता के नाते हर सच व् कटु बोलने  वाले की बात सहनशीलता के साथ  सुननी चाहिए और अगर स्वयं सहमत न हो तो अपनी बात तर्क के साथ समझानी चाहिए । यह हर एक मानव का धर्म है । मुह पर मीठे बोलने वाले और वाह वाही करने वाले कभी सच्चे आपके मित्र नही हो सकते वो आपके पीठ पर कब वार करेंगे स्वयं को ज्ञात नही होगा । 
उत्तम जैन
विद्रोही आवाज़

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