शनिवार, 8 नवंबर 2014

भूतकाल और वर्तमान

भूतकाल व वर्तमान
वर्तमान जेसे जेसे बीतता जाता है ! भूतकाल बन जाता है पर कुछ बाते कुछ यादे मानव भूलता नही चाहे सुखद बात हो या दुखद ! बहुत बार मे सोचता हु बहुत लोगो को देखा है वर्तमान की कुछ समस्या सुलझाने से ज्यादा भूतकाल का रोना रोते है ! ओर अपना वर्तमान भी बिगाड़ देते है फलस्वरूप उन्हे मिलती है तो सिर्फ निराशा ! जिन्हे हम निराशावादी कह सकते है !निराशावादी व्यक्ति हमेशा दुखी रहते है क्यूकी हमेशा उन्हे नकारात्मक ऊर्जा ही मिलती है ! भूतकाल का सोचकर वर्तमान व भविष्यकाल को बिगाड़ देते है वो व्यक्ति न खुद सुखी रहते है न ही परिवार को सुखी रख पाते है ! मेने बहुत इस विषय पर अध्ययन किया है ! जहा नकारात्मक ऊर्जा इंसान के मस्तिष्क मे संचार करेगी वह इंसान हमेशा चिड़चिड़ा, बात बात पर रोना, गुमशुम , एकाकी पृवृति , बिना बात हर किसी को अपना दुश्मन या विरोधी मान लेना , घर दुकान नोकरी मे दिल न लगना आदि लक्षण देखे जा सकते है ! धीरे धीरे वह अवसाद मे चला जाता है फलस्वरूप अपनी ज़िंदगी व मोत की दूरिया कम करता जाता है ! मानव जीवन का आनंद नही लेकर सिर्फ चिंता मे डूब कर चीता के पास जाने मे देर नही करता ! दोस्तो मेरे इस पोस्ट का उद्देश्य यही है की मेरे मित्रो सखियो की लंबी सूची मे कुछ लोग जरूर होंगे जो भूतकाल मे विचरण करते होंगे ! एक सलाह के तोर पर यह पोस्ट समर्पित ....हमेशा सकारात्मक सोचे विपरीत परिस्थिति मे भी खुश रहे ! वर्तमान मे जिये भविष्य को सुनहरा बनाए ....  ........ उत्तम जैन ( विद्रोही )

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