योग दिवस पर विशेष -
अगर आप रोजाना योग करते हैं तो आपके चेहरे पर अद्धभुत प्राकृतिक चमक आती है। योग के माध्यम से शरीर में लचीलापन आता है और त्वचा स्वस्थ रहती है। पहले के दिनों में, तनाव वयस्कों की बात हुआ करता था। थकाऊ पेशेवर कार्यक्रम के कारण अक्सर वयस्कों के निजी जीवन में तनाव हो जाता है। लेकिन हाल के दिनों में तनाव तेजी से बच्चों के जीवन अपनी पैठ बनाता जा रहा है। बच्चे आजकल आउटडूर खेलों से दूर होते जा रहे हैं। स्कूल में पढ़ाई का दबाव , ट्यूशन और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चों में तनाव बढ़ता जा रहा है। योग व्यक्ति के आत्म-स्वास्थ्य, विश्राम और मन की पूर्ति के लिए बहुत फायदेमंद है। योग के माध्यम से बच्चों में तनाव की स्थिति को दूर कर उनमें आने वाले जीवन को लेकर साकारात्मक उर्जा का और अधिक संचार करने की शक्ति है।अकसर लोग योग की तुलन जिम के साथ करते हैं। लेकिन यह तुलना बिल्कुल गलत है योग शारीरिक व्यायाम से कहीं अधिक है। यह सबको एक साथ जोड़ने की कला है। यह मन और आत्मा की शांति के साथ-साथ शरीर को फिट बनाता है। जिम केवल शरीर की संरचना में सुधार लाने पर केंद्रित है जबकि योग इसके अलावा बुहत कुछ है। योग एक विद्या है, एक विज्ञान है, जसिका उद्देश्य है व्यक्तित्व में एक सकारात्मक परिवर्तन लाना, स्वयं को सदविचार, सद्व्यवहार एवं सत्कर्म से युक्त करना. उसी से जीवन में सुख, शांति और तृप्ति आती है. अगर आप कहते हो कि योग का उद्देश्य चित्तवृत्ति-निरोध है, तो क्या आप दस आसनों से, दो प्राणायामों से ऐसी योग निद्रा से, जिसमें सोते रहते हो और झपकते हुए ध्यान के अभ्यास से चित्तवृत्तियों का निरोध कर पाओगे? क्या यह संभव है?
चित्तवृत्तियों का निरोध तभी संभव होगा, जब हम अपनी ऊर्जाओं को संतुलित कर पायेंगे, अपनी इच्छाओं एवं महत्वाकांक्षाओं को व्यवस्थित कर पायेंगे, अपने ऊपर थोड़ा संयम का अंकुश रख पायेंगे.
इसीलिए योग की सभी शाखाओं में यम और नियम की चर्चा होती है. लोग व्याख्यान तो बहुत देते हैं कि योग का मतलब होता है, चित्तवृत्ति-निरोध, लेकिन जब अभ्यास की बारी आती है, तो गठिया के लिए केवल तीन-चार आसन कर लिये, दमा के लिए एक प्राणायाम का अभ्यास कर लिया, अनिद्रा की शिकायत के लिए योगनिद्रा का अभ्यास कर लिया और मन को संतुष्ट करने के लिए पांच मिनट अजपा-जप या अंतरमौन का अभ्यास कर लिया. राजयोग में ने पांच यम और पांच नियम बताये हैं, लेकिन उनका अभ्यास कोई नहीं करता. हठयोग-प्रदीपिका में दस यमों और दस नियमों की चर्चा की गयी है, लेकिन उनके बारे में कोई बात नहीं करता. मतलब हर व्यक्ति पहली और दूसरी कक्षा को छोड़ कर सीधे तीसरी कक्षा में प्रवेश करना चाहता है. इसी वजह से योग हमलोगों के जीवन में सिद्ध नहीं हो पाया है ! .......
विश्व योग दिवस पर शुभकामना
योग करो .... निरोगी रहो
उत्तम जैन विद्रोही (प्राकृतिक चिकित्सक )
अगर आप रोजाना योग करते हैं तो आपके चेहरे पर अद्धभुत प्राकृतिक चमक आती है। योग के माध्यम से शरीर में लचीलापन आता है और त्वचा स्वस्थ रहती है। पहले के दिनों में, तनाव वयस्कों की बात हुआ करता था। थकाऊ पेशेवर कार्यक्रम के कारण अक्सर वयस्कों के निजी जीवन में तनाव हो जाता है। लेकिन हाल के दिनों में तनाव तेजी से बच्चों के जीवन अपनी पैठ बनाता जा रहा है। बच्चे आजकल आउटडूर खेलों से दूर होते जा रहे हैं। स्कूल में पढ़ाई का दबाव , ट्यूशन और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चों में तनाव बढ़ता जा रहा है। योग व्यक्ति के आत्म-स्वास्थ्य, विश्राम और मन की पूर्ति के लिए बहुत फायदेमंद है। योग के माध्यम से बच्चों में तनाव की स्थिति को दूर कर उनमें आने वाले जीवन को लेकर साकारात्मक उर्जा का और अधिक संचार करने की शक्ति है।अकसर लोग योग की तुलन जिम के साथ करते हैं। लेकिन यह तुलना बिल्कुल गलत है योग शारीरिक व्यायाम से कहीं अधिक है। यह सबको एक साथ जोड़ने की कला है। यह मन और आत्मा की शांति के साथ-साथ शरीर को फिट बनाता है। जिम केवल शरीर की संरचना में सुधार लाने पर केंद्रित है जबकि योग इसके अलावा बुहत कुछ है। योग एक विद्या है, एक विज्ञान है, जसिका उद्देश्य है व्यक्तित्व में एक सकारात्मक परिवर्तन लाना, स्वयं को सदविचार, सद्व्यवहार एवं सत्कर्म से युक्त करना. उसी से जीवन में सुख, शांति और तृप्ति आती है. अगर आप कहते हो कि योग का उद्देश्य चित्तवृत्ति-निरोध है, तो क्या आप दस आसनों से, दो प्राणायामों से ऐसी योग निद्रा से, जिसमें सोते रहते हो और झपकते हुए ध्यान के अभ्यास से चित्तवृत्तियों का निरोध कर पाओगे? क्या यह संभव है?
चित्तवृत्तियों का निरोध तभी संभव होगा, जब हम अपनी ऊर्जाओं को संतुलित कर पायेंगे, अपनी इच्छाओं एवं महत्वाकांक्षाओं को व्यवस्थित कर पायेंगे, अपने ऊपर थोड़ा संयम का अंकुश रख पायेंगे.
इसीलिए योग की सभी शाखाओं में यम और नियम की चर्चा होती है. लोग व्याख्यान तो बहुत देते हैं कि योग का मतलब होता है, चित्तवृत्ति-निरोध, लेकिन जब अभ्यास की बारी आती है, तो गठिया के लिए केवल तीन-चार आसन कर लिये, दमा के लिए एक प्राणायाम का अभ्यास कर लिया, अनिद्रा की शिकायत के लिए योगनिद्रा का अभ्यास कर लिया और मन को संतुष्ट करने के लिए पांच मिनट अजपा-जप या अंतरमौन का अभ्यास कर लिया. राजयोग में ने पांच यम और पांच नियम बताये हैं, लेकिन उनका अभ्यास कोई नहीं करता. हठयोग-प्रदीपिका में दस यमों और दस नियमों की चर्चा की गयी है, लेकिन उनके बारे में कोई बात नहीं करता. मतलब हर व्यक्ति पहली और दूसरी कक्षा को छोड़ कर सीधे तीसरी कक्षा में प्रवेश करना चाहता है. इसी वजह से योग हमलोगों के जीवन में सिद्ध नहीं हो पाया है ! .......
विश्व योग दिवस पर शुभकामना
योग करो .... निरोगी रहो
उत्तम जैन विद्रोही (प्राकृतिक चिकित्सक )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हमें लेख से संबंधित अपनी टिप्पणी करके अपनी विचारधारा से अवगत करवाएं.