अज्ञान तिमिर को दूर करे
वो ज्ञान की लौ फैलाते हैं
हे गुरुवर ! आपकी चरणों में
हम शत-शत शीश झुकाते हैं !
साक्षात महावीर के रूप हैं
उनके दर्शन से पाप कटे
गुरु सूर्यसागर की कृपा जिसे मिल जाये
वो पल भर में इतिहास रचे !
हे गुरुवर ! आपकी चरणों में
हम शत-शत शीश झुकाते हैं !
संघमेत्री संघ निलमेत्री शिक्षिका के
अवदानों से ज्ञान हम पाते है
एक परिवार सा महोल मिले
पाठशाला मे जब हम आते है
नीलम भाभी की भक्ति देख
हम पुलकित हो जाते है !
अब याचक बन कर हे गुरुवर !
‘विद्रोही ’ तेरे दर आया है
तुझसे विद्या धन पाने को
खाली झोली फैलाया है
जिसने भी पाया ज्ञान तेरा
सर्वत्र वो पूजे जाते हैं
हे गुरुवर ! आपकी चरणों में
हम शत-शत शीश झुकाते हैं !
हम पापी हैं और कपटी भी
सम्मान तेरा क्या कर पायें
इस योग्य भी नहीं हम गुरुवर
तुझको कुछ अर्पण कर पायें
कुछ टूटे-फूटे शब्दों में
हम तेरी महिमा गाते हैं
हे गुरुवर ! आपकी चरणों में
हम शत-शत शीश झुकाते हैं !
उत्तम जैन ( विद्रोही )
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