आज से ठीक 5 वर्ष पूर्व 18/05/2010 को मेरी सड़क दुर्घटना मे देहांत हो गया था ! मे स्वयं तो उस आडंबर रूपी भगवान मे
उतना विश्वास नही करता पर शायद उसे यह मंजूर था ! हमारे जीवन के सिर्फ 19
वर्ष के अल्प समय के साथ ही शायद हमारा प्यार उसे बर्दाश्त नही हुआ ! ओर
हम दोनों को अगले जन्म तक के लिए सदा सदा के लिए दूर कर दिया ! हमारे जीवन
मे इस अल्प साथ मे मेरी हमसफर हर अच्छे बुरे वक़्त मे कंधा से कंधा मिलाकर
खड़ी रही ! मेरे हर बुरे वक़्त मे होंसला
बढ़ाया ! मेरे हर गलत राह का विरोध भी किया तो हर अच्छे कार्य के लिए
प्रशंसा भी ! एक नेक विचारो की , मेहनती , पूर्ण समर्पित भाव से आदर करने
वाली मेरी हमसफर अल्पवय मे ही दुर्घटना मे शिकार हुई ! तब मे उसके साथ नही
था ! जब दुर्घटना मे अपने नश्वर शरीर को छोड़ा ठीक उसी वक़्त 18/05/2010 को
प्रात 4.50 को मुझे स्वप्न मे एक बड़ा झटके का अहसास हुआ ! करीब 30 मिनिट तक
मे स्वयं विचलित हो रहा था ! ओर 30 मिनिट बाद मेरे नाबालिग पुत्र व पुलिस
से मोब पर दुर्घटना के दुखद समाचार दिये ! आज 5 वर्ष की इन दूरियो का
वर्णन करते हुए आंखो से आँसू छलक रहे है ! तो अब ज्यादा नही लिख सकता ! अगर
कोई परमपिता परमेश्वर है तो उससे मेरी यही प्रार्थना की मेरी हमसफर जिस
योनी मे विचरण कर रही हो ! उसे शांति प्रदान करे .... ॐ शांति ॐ शांति
..... भावभीनी अश्रुपूरित श्र्दा सुमन अर्पित करता हु !!
दिल का दर्द कई बार आँखों में नजर आता है ।। कई बार यह उफन उफन कर आँखों से बरस जाता है।।। सोचा कई बार दर्द को न उकेरुँ कलम से।। लेकिन ये खुद ब खुद कागज पर उतर जाता है।।।
मेरी कलम से ----------चंद लाइन स्वर्गस्थ हमसफर के लिए
दिल का दर्द कई बार आँखों में नजर आता है ।। कई बार यह उफन उफन कर आँखों से बरस जाता है।।। सोचा कई बार दर्द को न उकेरुँ कलम से।। लेकिन ये खुद ब खुद कागज पर उतर जाता है।।।
मेरी कलम से ----------चंद लाइन स्वर्गस्थ हमसफर के लिए
तुम्हारे बिछडने से बाद
सोचा करता था !
अकसर यही
कैसे कटेगी मुझसे
जुदाई की वो लंबी राते
कैसे कटेगे तुम्हारे बीना
वो पल वो लम्हा
कैसे बितेगी ना जाने
तन्हाई की वो घडियाँ
पल पल मुझे
याद आओगी तुम।।
तुमसे बिछडने के बाद
आज भी मै
तन्हा नहि हूँ।।
पल भर भी में
तुमसे दूर नहि ।।
कयोकि आज भी साथ मेरे
तुम्हारे प्यार की वो हसीन यादें हैं।
लेकिन
किससे कहूँ दिल के राज को
किससे बाँटु अपने गम
अकेले बस यूँ ही
तुम्हारे साथ बिताए पलों को
पिरोता रहता हूँ तुम्हारी
यादों के धागों से
आंखो की बूँदे समेट कर
तेरी यादों मे जल जल कर
मैने ये पल काँटे हैं।।।।
उत्तम जैन (विद्रोही )
सोचा करता था !
अकसर यही
कैसे कटेगी मुझसे
जुदाई की वो लंबी राते
कैसे कटेगे तुम्हारे बीना
वो पल वो लम्हा
कैसे बितेगी ना जाने
तन्हाई की वो घडियाँ
पल पल मुझे
याद आओगी तुम।।
तुमसे बिछडने के बाद
आज भी मै
तन्हा नहि हूँ।।
पल भर भी में
तुमसे दूर नहि ।।
कयोकि आज भी साथ मेरे
तुम्हारे प्यार की वो हसीन यादें हैं।
लेकिन
किससे कहूँ दिल के राज को
किससे बाँटु अपने गम
अकेले बस यूँ ही
तुम्हारे साथ बिताए पलों को
पिरोता रहता हूँ तुम्हारी
यादों के धागों से
आंखो की बूँदे समेट कर
तेरी यादों मे जल जल कर
मैने ये पल काँटे हैं।।।।
उत्तम जैन (विद्रोही )
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