गहरी जड़ों वाले पारिवारिक मूल्य
भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। माता पिता बच्चों को बड़ा करने का अपना फर्ज पूरा
करते हैं, फिर
बच्चे बड़े होने पर परिवार के बड़ों का ख्याल रखते हैं। भारतीय संस्कृति में शादी
एक पवित्र बंधन है। लेकिन जब समाज की या समुदाय की बात आती है तब हमारा रवैया पूरी
तरह अलग होता है। किसी भी खराब स्थिति में हम सोचते हैं कि यह हमारी जिम्मेदारी
नहीं है बल्कि किसी और की है। जबकि पश्चिम में समुदाय के प्रति वही जिम्मेदारी
अच्छी तरह समझी जाती है। पश्चिमी लोग समाज के प्रति चिंता भी करते हैं और जरुरत
पड़ने पर बलिदान भी करते हैं। हम एक बंद समाज में रहते हैं। अक्सर हम किसी ना किसी को पश्चिमी
संस्कृति की बुराई करते सुन सकते हैं, जैसे कि वह बहुत खुली, आधुनिक या आकर्षक है और आज की पीढ़ी
को बिगाड़ रही है। हम में से ज्यादातर लोगों को लगता है कि पश्चिमी संस्कृति हमारे
मूल्यों को कमजोर कर रही है और समय के साथ हमारी संस्कृति खत्म हो जाएगी।लेकिन
क्या आपको लगता है कि अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना सही है? हमारे समाज में जो कुछ भी हो रहा है
वह हमारी वजह से हो रहा है, ना
कि किसी अन्य व्यक्ति या समाज की वजह से। क्या आधुनिक कपड़े पहनना, मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, फास्ट फूड खाना हमारे लिए
पश्चिमीकरण है? सच
तो यह है कि हम दुविधा में हैं। जहां हम हैं वहां हम रहना भी चाहते हैं और आकाश
में उंची उड़ान भी भरना चाहते हैं। लेकिन जमीन में गहरी जड़ें रखकर उड़ने से आप
किसी भी हालत में गिरते नहीं हैं।इसके अलावा हर समाज चाहे वो पूर्वी हो या पश्चिमी
उसमें कुछ पाॅजिटिव पक्ष भी होता है और कुछ नेगेटिव पक्ष भी होता है। यह तो
व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह पाॅजिटिव पहलू अपनाता है या नेगेटिव पक्ष चुनता
है।आज के दौर में, हम
में से ज्यादातर लोग आँखे बंद करके आधुनिकता की ओर दौड़ रहे हैं और यह मानने लगे
हैं कि पश्चिमी संस्कृति सिर्फ गलत ही कर रही है। लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि पश्चिमी देश हमसे कहीं
ज्यादा रफ्तार से विकास कर रहे हैं। भारत के मुकाबले कई पश्चिमी देशों में अपराध
की दर बहुत कम है। कम अपराध दर के कारण और उंचे जीवन स्तर के कारण उन देशों के शहर
रहने के लिए दुनिया में सबसे पसंदीदा जगहों में आते हैं। इसलिए, आगे बढ़ते हुए अपने मूल्यों और संस्कृति को
सहेज कर रखना गलत नहीं है। हमें समय के साथ बेहतरी के लिए बदलना भी चाहिए, क्योंकि दुनिया में सबकुछ बदल रहा है। हमें बेहतरी, प्रगति और विकास के लिए अपने मूल्यों के साथ पश्चिमी संस्कृति
के अच्छे मूल्य जरुर अपनाने चाहिए। तो हमें सभी से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए गलत चीजों को छोड़कर।
उत्तम जैन
(विद्रोही )
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