मित्रो आज
मेरे हजारो ज्ञात अज्ञात मित्र है ! अज्ञात का अर्थ जिनसे न कभी मुलाक़ात हुई न कभी
बात फिर भी मित्र है फेसबूक व व्हट्स अप पर 5000 मित्रो की सूची जो हर सुख दुख व जन्मदिन पर शुभकामना तो प्रेषित करते ही है ! साथ मे मेरे अच्छे पोस्ट व मेरे द्वारा लिखे ब्लॉग पर लाइक
का बटन दबाकर या कोमेंट्स मे अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा होंसला बढ़ाते है ! पड़ोसीयो ,
पारिवारिक रिश्तो अर्थात तथाकथित वास्तविक दुनिया के रिश्तो से बेहतर भावनाओ की
समझ रखने वाले,समझने वाले और समझाने वाले ,हर ख़ुशी-गम आपस में मिल बटने वाले लोग मुझे तो इस
तथाकथित आभाशी -काल्पनिक दुनिया में मिले है| अंतर्जाल
पर पता नहीं कितने प्रकार के जाल होंगे लेकिन मैं तो अपने अंतर्जाल के इन मित्रो
के स्नेह,ममत्व,अपनत्व के जाल में बहुत ही सुकून महसूस करता हूँ | मेरे अपने जीवन के उस मोड़ पर जब करीबी लगभग सभी
रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया था ,राजनीतिक-सामाजिक
लाभ ले चुके लोगो ने भी किनारा कस लिया था तो उस अकेलेपन के दौर से गुजरने में
चन्द रिश्तो की डोर ने मुझे ताकत दिया,जीवन
संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर किया| यह
चन्द रिश्ते ना होते तो शायद यह जीवन भी ना होता| अकेलेपन
की दुनिया से निकलने और स्वार्थी लोगो से एक दुरी बनाये रखने के लिए इन्टरनेट का
प्रयोग शुरु किया | आज यह गर्व से कह सकता
हूँ की यह इन्टरनेट की ताकत ही है कि तमाम अनजाने लोगो से मेरी जान-पहचान हुई और
उनके स्नेह ने मुझे दिनों दिन हौसला ही दिया |मेरे अपने विचारो
को लेखन के माध्यम सभी मित्रो तक आसानी से पहुंचा पाया! आज तमाम पुराने जानने वाले
स्वार्थी रिश्तेदारों व मित्रो से मुझे निजात मिल चुका है, अब सिर्फ मेरे हमदर्द मित्र व रिश्तेदार ही मेरे अपने है !
अब मेरी स्थिति सभी स्नेही जनों के आशीर्वाद से अच्छी है | उन लोगो से मिलने ,बात
करने में मेरी तनिक भी रूचि नहीं रहती जिन्होंने मेरा साथ मेरे बुरे वक़्त में
नहीं दिया | आज मैं इन्टरनेट के ही माध्यम
से एक बड़े और नए रिश्तो को हंसी -ख़ुशी
जीता हूँ,खून
से बड़े स्नेह रखने वाले लोग यहाँ मुझे मिले है|फेसबुक
व व्हट्स अप के सभी मित्र आज मुझे अपने परिवार के ही लगते है| मेरा अनुभव तो यही है इस अंतर्जाल के संदर्भ मे .....
उत्तम जैन (विद्रोही )
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