माँ रिश्ते रूपी घर की छत की तरह होती है। माँ बालक
की प्रथम गुरू कहलाती है। माँ की प्रशस्ति में दुनिया की अनेकों भाषाओं में
कहावतों के भंडार हैं। विश्व साहित्य में माँ हर जगह छाई हुई है। उसके प्रति प्रेम
और सम्मान प्रदर्शित करने के लिए शब्दकोश मे भी शब्द कम पड़ जाये ! माँ का
आशीर्वाद जिसके सिर पर है वह सभी संकटो का सामना कर सकता है। अपने हृदय में माँ के
प्रति आदर की छुपी भावना व्यक्त करने के लिए मातृ दिवस पर मे तुच्छ व्यक्ति क्या लिखू !
माँ के लिये आदर और सम्मान को किसी शब्द या उपहार से अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता
! वेसे तो वर्ष के 365 दिन ही मातृ दिवस होता है क्यूकी पीढियां बदल गयी लेकिन दीवार फिल्म के शशि कपूर के
उस डायलोग की तासीर आज भी उतनी ही सिद्दत से महसूस की जा सकती है। मेरे पास बंगला
है, मोटर है, बैंक-बैलेंस है....
! तुम्हारे पास क्या है ?" पैंतीस साल पहले एक महानायक के भारी-भरकम
संवाद पर हावी हो गया था एक छोटा सा वाक्य, "मेरे पास माँ है
!" सच में, माँ के दूध से बढ़ कर कोई मिठाई और माँ के आँचल से
बढ़ कर कोई रजाई नहीं होती। "मातृ देवो भवः !" "माँ फ़रिश्ता है...!!"
"Mother.... thy name is God...!!" माँ.... धात्री !
अपने जीवन के कीमत पर हमें जीवन देती है। अपने रक्तसे सींच हमारा पोषण करती है।
संस्कारों से सुवाषित कर 'जड़ता' नाश करती है। माँ शब्द मे त्रिदेव वास करते है !माँ तो साक्षात ब्रहमा, विष्णु, महेश.... है ! मई को
विश्व मातृ-दिवस मनाया जाता है। मुझे आश्चर्य है कि जिसके बिना हमारा वजूद नहीं है, उसको समर्पित साल में मात्र एक दिन.... ! आज मातृ दिवस पर एक निडरता के साथ दिल की तड़फ मेरे सभी पाठक के सामने स्वीकार करूंगा ! जिस दिन मे माँ पर गुस्सा हो जाता हु ! न जाने क्यू उस दिन मेरी अंतरात्मा मुझसे नफरत करने लग
जाती है ! स्वयं एक हीनता की अनुभूति करता हु ! पूरी दुनिया के
साथ मे अपने ब्लॉग पर तीन लाइन के साथ उस
परब्रह्म रूप को नमन करता हु । विश्व मातृ-दिवस
पर - माँ तुझे सलाम !!
है माँ तू कितनी
सुन्दर !है माँ कितनी शीतल !
है माँ तुजे बारम्बार नमन !
उत्तम जैन (विद्रोही )
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