शनिवार, 16 मई 2015

जैन संतो पर सुनियोजित आक्रमण उस पत्रकार का बहिष्कार हो

भारत वर्ष में भगवान महावीर के काल से साधू संतो का अपना एक विशेष महत्व रहा है. अपने जीवन का सर्वस्व ,समाज को अर्पित करने वाला यह वर्ग भारत के महान इतिहास का कारण भी रहा है. जिसने ,त्याग तपस्या , अध्यात्म, धृति क्षमा,विवेक,सयम अपरिग्रह आदि गुणों को समाज के उत्कृष्टता के लिए समाज में रहने वाले व्यक्तियों के अन्दर डालने का कार्य किया. जिससे हमारा एक गौरवपूर्ण अतीत प्राप्त हुआ और भारत के अन्दर रहने वाले हर एक व्यक्ति के मन मष्तिष्क में इन साधू संतो सन्यासियों के प्रति सदैव से एक आदर का भाव रहा है. ! पर वर्तमान के सन्दर्भ में हम बात करे तो यह पता चलता है की आज हम एक दुसरे स्थिति में खड़े है जहां पर साधू संतो व आचार्यो को बदनाम करने के लिए अनेकानेक लोग इसका दुरुपयोग करने के लिए दिखाई देते हैं. संत मुनियों की वैज्ञानिक , तार्किक , शाश्त्रसम्मत बातो को आगे बढाने वाले संत समाज में भारत के गुलामी के समय में आरोपित किये तमाम बुराई के चिन्ह आज उन पर दिखाई पड़ते है.पर फिर भी अनेकानेक साधू संत , राष्ट्रपुरुष भारत में हैं जो की सदैव राष्ट्र के चरमोत्कर्ष के बारे में न केवल सोचते है बल्कि कार्य भी करते हैं. ! आज के समय में सत्ताधीश से लेकर न्यायाधीश तक , समाचार पत्र से लेकर आम आदमी तक जब मुद्रा के मुल्य के महत्व को नैतिकता और सामाजिक मुल्य से ज्यादा आंक रहा है तब की परिस्थिति में राष्ट्रीय चिंता से युक्त व धर्म के अनुरूप भगवान महावीर का अहिंसा का संदेश साधू संत जन जन तक पहुंचा रहे है ! इस बीच कुछ स्वयंभू कलम के सिपाही खुद को लेखक कवि मानने वाले दुष्प्रचार कर साधू संतो को आरोपित कर समाज मे मुश्किल बड़ा रहे है . न कोई सत्ताधीश गाली देने वाला न ही आम जनता आरोप प्रत्यारोप करने वाली न कोई मीडिया उनके पीछे पड़ने वाली, पर ऐसे लोग जो कुछ भी जैन समाज के जागरण और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य कर रहे उन्हें आज के समय में भारत के लोकतंत्र पर कब्जा कर चुकी तीन शक्तियां सताधीश , तथाकथित बुद्धिजीवी , और मीडिया तीनो मिलकर तरह तरह से बदनाम करने की साज़िश रचती हैं और न्यायालयों के निर्णय आने से पहले ही इस तरह का दुष्प्रचार का एक क्रम शुरू करते हैं मानो न्यायालय की कोई आवश्यकता ही नहीं. धीरे धीरे मुझे तो ऐसा लगाने लगा है की जिस जिस साधू संत के ऊपर ये नेता , तथाकथित बुद्धिजीवी और मीडिया एक साथ मिलकर आक्रमण करे तो यह समझ जाना चाहिए की उस संत ने जरुर कोई राष्ट्र एवं धर्म जागरण का वास्तिवक लक्ष्य पूर्ति का काम किया है. वरन इन तीनो के समेकित आक्रमण का कोई और कारण ही नहीं. समाज को ऐसे पत्रकार का बहिष्कार करना चाहिए
उत्तम जैन (विद्रोही )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमें लेख से संबंधित अपनी टिप्पणी करके अपनी विचारधारा से अवगत करवाएं.