गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

राजनेता दिशाहीन – जनता गमगीन

आज देश अराजकता, असुरक्षा तथा आर्थिक संकट की ओर उन्मुख है ! यह एक चिंतनीय विषय है ! आज राजनीतिक दल के अधिकांश नेता राष्ट्रिय हित तथा जनता के अधिकार की सुरक्षा के दायित्व से विमुख नजर आते हैं । नेताओं को समझना होगा कि उन्हें इतिहास ने जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे पूरा करना होगा उसमे मुख्य भूमिका सोशल मीडिया की है जिस पर राजनैतिक चर्चा और आलोचना का गिरता स्तर ही चिंतनीय विषय है। लोग चर्चा मे न केवल सिर्फ व सिर्फ सफ़ेद झूठ का सहारा ले रहे हैं बल्कि गाली गलौज व निम्न स्तर  पर उतर आते हैं।
 अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को समझाने और उन्हे सभ्य बात-चीत के लिए प्रोत्साहित करने का काम विभिन्न राजनैतिक पार्टियो का है। परंतु राजनैतिक पार्टियों के शीर्ष नेता स्वयं दूसरों पर कीचड़ उछालने मे व्यस्त हैं। सोशल मीडिया की बात छोड़ें तो इलेक्ट्रोनिक मीडिया  पूरा बिक चुका है। साक्षात्कार लेने और प्रसारित करने के भाव तय हैं। पहले से सब  निश्चित होता हैं। नेता कितना भी झूठ बोले टोकने  नहीं जाएगा। डिबेट भी प्रायोजित होता है ! 
प्रजातन्त्र मे चर्चा, आलोचना समालोचना का अधिकार सबको है। सत्तारूढ़ पक्ष के कार्यों की उचित आलोचना, उसको आईना दिखाने का काम होना ही चाहिए। लेकिन ऐसा करते समय सफ़ेद झूठ का सहारा लेना , गाली और अपशब्दों का उपयोग करना बिलकुल उचित नहीं है। अगर ध्यान दिया जाए तो कोई दिन ऐसा नही होगा जिस दिन कोई नया झूठ न बोलते हो  सीधे-सीधे झूठ बोलने की कला को इन्होने नया विस्तार दिया है।  श्याम, दाम ,दंड ,भेद सभी नीति के गुणधारी आज के नेता सभी राजनीतिक पार्टी मे सहज सरलता उपलब्ध हो जाएंगे  आज विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के पुरोधाओं के लिए यह आत्म-चिंतन का समय है। कुछ राजनेता  राजनैतिक पक्ष गल हो सकते हैं तो कुछ सही भी  उनसे कुछ की गलतियाँ हो सकती हैं पर राजनेताओं के ओछे व्यवहार ने पूरी राजनैतिक बिरादरी को कटघरे मे खड़ा कर दिया है। मुझे यह लिखते हुए शर्म महसूस होती है !
महिला सक्षमीकरण की बात करने वाले छद्म राजनेताओं ने स्त्री को जितना अपमानित किया है यह इसके पहले कभी नहीं हुआ। स्त्री के शरीर को निशाना बना कर अपनी नपुंसकता को ढकने की राजनेताओं की कोशिश ने नेताओं को नंगा कर दिया है। हमारे सामाजिक व धार्मिक  प्रसंग मे हम इन राजनेताओ को बड़े  आदर भाव से आमंत्रित करते है ! क्या काम है इंनका कोई जबाव दे सकता है मुझे ? 
जिन्हे अपने कर्तव्य का भान नही ओर न ही देश के भविष्य की परवाह उनका हम ओर हमारा समाज  सन्मान  करते है व अग्रिम पंक्ति मे स्थान देते है ! आप स्वयं अपने वार्ड के पार्षद या नगरसेवक को जो हमारे साथ ही रहता है, हममे से ही एक है भ्रष्टाचार से नहीं रोक सकते तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ आपको बोलने का अधिकार भी नही है ! अगर हम भ्रष्ट राजनेताओ  का सिर्फ सम्मान करना बंद कर दे , उन्हे पूजा , शादियों, धार्मिक और सामाजिक समारोहों मे बुलाना बंद कर दें , उनका सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दे , तो देखिये भ्रष्टाचार के इस राक्षस का विनाश शुरू होता है की नहीं। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमें लेख से संबंधित अपनी टिप्पणी करके अपनी विचारधारा से अवगत करवाएं.