मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

हमारे नेता हमसे दूर

आज कल कुछ दीवारों पर लगे पोस्टर्स मीडिया मे आए दिन चर्चा का विषय  बना रहता है ! सभी समाचार पत्र व चेनल वाले भी बार बार इन्हे सुर्ख़ियो मे लाते है ! जिन पर लिखा रहता है गुमशुदा की तलाश और ढूढने वाले को ईनाम भी दिया जाएगा! ये सब वो लोग है जिनको जनता ने अपना वोट दिया और अपना प्रतिनिधि बनाया पर संसद जाकर ये सभी कही खो गए और अब भोलीभाली जनता इनको तलाश रही है वैसे तो ये कोई नयी बात नहीं है हर नेता संसद मे घुसते ही कही खो जाता है पर जनता ने पहली बार अपने नेता को ढूढ़ने के लिए ये तरीका अपनाया है पर ऐसा क्यों होता है की चुनाव पूर्व हाथ जोड़ते हुए विनम्रता के साथ जो अपने को जनता का हमदर्द बताते है खुद को उनका सेवक बताते है वही संसद,विधानसभा हो या  नगरपालिका या फिर पंचायत  के अंदर जाते ही जनता से दूर हो जाते है जनता बस उनका नाम मीडिया के माध्यम से सुनती रहती है और अगले चुनाव का इंतजार करती है अपने नेता को वापस देखने के लिए !आपको यह कटु सत्य स्वीकार करना होगा ओर  आज की सच्चाई यही है हर बड़ी पार्टी  नेता जितना बड़ा ओर जिसका कद जितना बड़ा होगा वह  जनता से उतना ही दूर होगा ! कांग्रेस जो गर्व से चिल्लाती है सब का साथ सब का विकास इसमें साथ तो सब का है पर विकास बस कुछ लोगों का ही है , भारतीय जनता पार्टी मे आज की तारीख मे कोई कुछ भारतियों को छोड़ कर कोई जनता बाकि नहीं रह गयी है , समाजवादी पार्टी मे अब कोई समाजवादी नहीं बचा है , बहुजन समाजवादी पार्टी मे कोई भी अब  बहुजन नहीं बचा हर जाती धर्म के लोग उनके पाव छूते है और तो और अभी अभी ताजा कुछ एन॰जी॰के माध्यम से सेवा करते हुए व कुछ सामान्य आम लोगों द्वारा निर्मित आम आदमी पार्टी मे भी अब कोई आम आदमी नहीं बचा सब खाशम खाश  हो गए है सब मंत्री बन गए है और जनता अब उनको सिर्फ दूर से दर्शन मात्र कर सकती है मतलब ये है की राजनीती वह जगह है जहा जनता के लिए कोई जगह नहीं है जनता का नाम लेकर जनता को ही दूर रखा जाता है उनका नाम ले कर धरना प्रदर्शन तो किया जाता है पर जनता के हित का कोई काम नहीं होता ! जनता का नाम लेकर हर कोई अपना उल्लू सीधा करता रहता है !  कोई भी  मुद्दा हो  सब पर नेता अपनी स्वार्थ की राजनीती को जनता की राय बता कर तमाशा करते रहते है ! और उस तमाशे मे भी मरती पिटती जनता ही है नेताजी तो बस आग लगा कर दूर हो लेते है और बेचारी जनता अपने नेताजी की स्वार्थनीति को सिद्ध करने निकल पड़ती है ! जनता के नाम पर जनता का जितना शोषण हो रहा है वह  बयान करना भी मुश्किल है वातानुकूलित गाड़ियों मे घूमने वाले नेता बिचारे किसान  का दर्द क्या समझेंगे जो साल भर सर्दी गर्मी मे काम करता है और जिसकी मेंहनत पर कुदरत ने पानी फेर दिया पर इन  नेताओ को कोई फर्क नहीं पड़ा सिर्फ अपनी राजनीती चमकाने मे लगे हुए है सब ने बस शोर मचाया पर हुआ कुछ नहीं ! मतलब राजनीती वह  पेड़ है जो जनता रूपी जड़ों पर खड़ा होता है और जैसे जैसे पेड़ ऊपर उठता जाता है जड़े  उतनी निचे जमीन मे धँसती जाती है और ये पेड़ सिर्फ जड़ो को चुस्त रहता है पर उसके लिए करता कुछ नहीं ! कल तक हमारे बीच रहता हमारे हर सुख दुःख का हिस्सा एक आम आदमी चुनाव मे विजयी होने के बाद  हम से अलग हो जाता है वो वीआईपी नेता  बन जाता है उसके अंगरक्षक उसके और जनता के बीच दिवार बन जाते है !! वाह रे लोकतन्त्र तेरी माया निराली !! फिर भी बेचारी जनता सब कुछ देखते सुनते हुए भी उनसे अपेक्षा करती है ! समय निल जाता है ! फिर नेता कूटनीति चलकर भोलीभाली जनता के सामने 5 वर्ष बाद जोली फेलाकर खड़े हो जाते है ओर यही क्रम चलता रहता है ! 

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